मेरी love marriage हुई थी॥ हम दोनों एक ही कॉलेज में पढ़ते थे । जब हम बी स सी सेकंड इयर में थे तब विनीत जो मेरे हसबैंड बन गये हैं उनका आर्मी में नमब़र आ गया वो आपनी ट्रेनिंग पर चले गये ....करीब सात साल बात मार्च १२ ,२००९ को हमारी शादी हो गई ...... में अपने पति से खुश हूँ.... कुछ महीनो बाद में माँ भी बन जाउंगी ..... लेकिन न जाने दिल के किसी कोने में आपने माँ पापा का प्यार विनीत के प्यार पर भरी पड़ता दीखता हैं... एक वक्त था जब में विनीत से जयादा किसी से भी प्यार नही करती थी .लेकिन जब से पापा ने मेरी शादी खुशी खुशी विनीत से कर दी तब से मेरे दिल में पापा की जगह और जायदा बन गयी हैं........ अब जब में अकेली हूति हूँ तो मुझे विनीत का प्यार याद नही आता बल्कि पापा को वो दुलार याद आता हैं जो उन्होंने मुझे दिया... मेरा मन पापा माँ से मिलने का करता रहता हैं लेकिन वहा जाने के लिए भी विनीत से पर पूछना तो पड़ता ही हैं.....विनीत मना तो नही करता लेकिन मुझे ऐसा लगता हैं की वो दिल से ये चाहता हैं की में ससुराल जाऊँ..... लेकिन मेरा मन वहां जाने का नही करता हैं..... मुझे नही पता क्यो, लेकिन में आपनी पुराणी जिन्दगी में लोटना जरुर चाहती हूँ ...लेकिन अब से सम्भव नही हैं
वंदना के दिल का दर्द
Wednesday, December 2, 2009
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asambhav tabhee hota hai jab prayas dil se nahi kiye jate.narayan narayan
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