Friday, December 11, 2009

मेरे देश की तश्वीर तुझे क्या हो गया हैं ......क्या करे देश सारा कांग्रेस में हो गया हैं..... क्या करे भीख मांगकर होता तो हैं गुजरा..... नोकरी पेशा लोगों का तो गुजारा ही मुहाल हो गया है मेरे देश की तश्वीर तुझे क्या हो गया हैं।

Wednesday, December 2, 2009

शादी के मेरी लाइफ का बदलाव

मेरी love marriage हुई थी॥ हम दोनों एक ही कॉलेज में पढ़ते थे । जब हम बी स सी सेकंड इयर में थे तब विनीत जो मेरे हसबैंड बन गये हैं उनका आर्मी में नमब़र आ गया वो आपनी ट्रेनिंग पर चले गये ....करीब सात साल बात मार्च १२ ,२००९ को हमारी शादी हो गई ...... में अपने पति से खुश हूँ.... कुछ महीनो बाद में माँ भी बन जाउंगी ..... लेकिन न जाने दिल के किसी कोने में आपने माँ पापा का प्यार विनीत के प्यार पर भरी पड़ता दीखता हैं... एक वक्त था जब में विनीत से जयादा किसी से भी प्यार नही करती थी .लेकिन जब से पापा ने मेरी शादी खुशी खुशी विनीत से कर दी तब से मेरे दिल में पापा की जगह और जायदा बन गयी हैं........ अब जब में अकेली हूति हूँ तो मुझे विनीत का प्यार याद नही आता बल्कि पापा को वो दुलार याद आता हैं जो उन्होंने मुझे दिया... मेरा मन पापा माँ से मिलने का करता रहता हैं लेकिन वहा जाने के लिए भी विनीत से पर पूछना तो पड़ता ही हैं.....विनीत मना तो नही करता लेकिन मुझे ऐसा लगता हैं की वो दिल से ये चाहता हैं की में ससुराल जाऊँ..... लेकिन मेरा मन वहां जाने का नही करता हैं..... मुझे नही पता क्यो, लेकिन में आपनी पुराणी जिन्दगी में लोटना जरुर चाहती हूँ ...लेकिन अब से सम्भव नही हैं

वंदना के दिल का दर्द

Monday, November 2, 2009

कई बार जिन्दगी हमे कितना उदाश कर देती है हम आपनो से ही कितने खफा हो जाते है । वो आपने जिनके बारे में हम सोचते हैं की वो हमारे सबसे करीब है और उनकी जगह हमारी लाइफ में कोई नही ले सकता । बावजूद इसके न चाहते हुए भी आपनो से दर्द आसानी से मिल जाता है । हालाकि लोग आपना ब्लॉग न जाने क्या सोच कर बनते होंगे लेकिन मेरी कलम जब भी उठती है वो या तो ऑफिस में स्क्रिप्ट के लिए या जब में दुखी होती हूँ तो आपने दर्द को बायाँ करने के लिए --------कहते हैं की पति पत्नी का रिश्ता विश्वास और प्यार पर टिका होता हैं । लेकिन कई बार प्यार और विश्वाश भी रखा रह जाता हैं

Saturday, July 18, 2009

मेरी लव स्टोरी का अगला हिस्सा

अब से पहले मेने लिखा था की मेरे सपने में फिर एक लड़का आए। ये लड़का वही था जिसने मेरे बैग में लैटर रखा था। में सोचने लगी सपने में तो उसी लड़के ने बैग में लैटर रखा जो क्लास में दिखा कही सच में भी उसी ने ही तो ये लैटर नही रखा हैं। ख़ैर कशमकश का ये सिलसिला कुछ दिनों तक चलता रहा। वो लड़का कोनहैं ये जान ने की तड़फ दिन बे दिन बढ़ने लगी। वो मेरे पीछे बैठकर कुछ्ना कुछ बोलता और मुझे लगता ये आवाज जानी पहचानी क्यो लगती है में ये सोचकर ही रह जाती .आखिर में वो दिन आ ही गया जब मेरा आमना सामना उस अजनबी से हो ही गया। वो आपने दोस्त से बातें कर रहा था । और में उसके सामने से गुजर गयी मेने देखा ये वही लड़का हैं जोआवाज मुझे जानी पहचानी लगती थी। मेने जब उसे पहली बार गौर से देखा तो मुझे भी लगा जैसे मेने उसे पहले भी देखा हैं । सरे इंसिडेंट के बारे में सोचकर मुझे लगा की हमारा कोई पुराना रिश्ता हैं और भगवान् हमे मिलाना चाहता हैं। बस यही से में उसे सीरियसली लेने लगी । में उसकी हर बात पर धयान रखने लगी । वो जो कुछ भी बोलता मेरे लिए प्यार भरी छेड़खानी होती। मेरा शक यकीन में बदलने लगा । मुझे लगने लगा की वो मुझे प्यार करता हैं। में भी उसे चोरी चोरी देखती थी और वो भी लेकिन दोनों के दिल में क्या चल रहा था । ये दोनों में से कोई नही जनता था। आगे फ़िर कभी --------------------------

Tuesday, June 2, 2009

कई दिनों तक ये सिलसिला चलता रहा और एक दिन .मेरे सपने में एक लड़का आया। वो लड़का मुझे प्यार कर रहा था । अगले ही दिन वो ही लड़का मुझे आपनी क्लास में दिखा। में हेरान थी की इस लड़के को जब में जानती नही तो मुझे इसका सपना कैसे आया। धीरे धीरे एक दिन न्यू इयर आ गया। में और मेरी फ्रेंड बहार खडे हुए थे । क्लास का टाइम जैसे ही हुआ हम अन्दर चले गये। मेने जैसे ही आपना बैग बुक निकलने के लिए खोला उस में से एक लव लेटर निकला जिस पर लिखा था हैप्पी न्यू इयर एंड इ लवयू । में देख कर घबरा गयी । लेकिन सोचने लगी की कोन हो सकता है। फिर एक दिन मुझे फिर सपना आया और इस बार मेरे सपने ----------------

Wednesday, May 13, 2009

माय

एक एहसास तेरा हर वक्त मेरे साथ रहता है न जाने वो इस बात से क्या बेखबर रहता हैं वो क्यो छुपता है प्यार को आपने प्यार तो उसका उसकी बातो में नज़र आता है । पहचान तो गये हैं हम भी प्यार को उसके लेकिन इज़हार करना तो नही आता हैं । दूर दूर रहते है फिर भी लेकिन दिल का दिल से रिश्ता बनता जाता है। ये जानते हम भी और वो भी के प्यार तो आँखों से बयाँ हो जाता है।
वंदना त्यागी की कलम से नॉएडा

my love story

पहली बार मेरी और उनकी मुलाकात कॉलेज में हुई थी। मुलाकात तो सिर्फ़ में इस वक्त बोल रही हूँ लेकिन जब हम दोनों एक साथ पढ़ते थे उस वक्त नजारा ही कुछ और था । बात हैं साल २००२ की जब में पहली बार आपने गाँव से निकलकर एक कसबे में पढने के लिए गयी थी । दरअसल मेरे पापा मेरे सारे काम खुद ही कर देते थे जैसे कॉलेज से फोम लाना उसे सबमिट करना। कुछ ऐसा ही उस दोरान हुआ था। मेरे पापा ने मेरे दाखिला बीएस ई में करा दिया। में कॉलेज जाने लगी । लेकिन मेरे पीछे जो भी कोई बैठता था उसकी आवाज मुझे जानी पहचानी लगती थी । वो कोन था में ये जानना चाहती थी ।

my life

hello im vandan tyagi- mein aapne baare me jaayda to nahi janti but itna jarur janti hoon. ki me bhut bhawuk kishm ki ladki hoon. kafi din pahle meine socha tha ki me aapni love life par ek kitab likhungi likin mujhe waqt nahi mil raha tha lekin me aaj us kahani ki suruwat karne ki soch rahi hoon.