एक एहसास तेरा हर वक्त मेरे साथ रहता है न जाने वो इस बात से क्या बेखबर रहता हैं वो क्यो छुपता है प्यार को आपने प्यार तो उसका उसकी बातो में नज़र आता है । पहचान तो गये हैं हम भी प्यार को उसके लेकिन इज़हार करना तो नही आता हैं । दूर दूर रहते है फिर भी लेकिन दिल का दिल से रिश्ता बनता जाता है। ये जानते हम भी और वो भी के प्यार तो आँखों से बयाँ हो जाता है।
वंदना त्यागी की कलम से नॉएडा
Wednesday, May 13, 2009
my love story
पहली बार मेरी और उनकी मुलाकात कॉलेज में हुई थी। मुलाकात तो सिर्फ़ में इस वक्त बोल रही हूँ लेकिन जब हम दोनों एक साथ पढ़ते थे उस वक्त नजारा ही कुछ और था । बात हैं साल २००२ की जब में पहली बार आपने गाँव से निकलकर एक कसबे में पढने के लिए गयी थी । दरअसल मेरे पापा मेरे सारे काम खुद ही कर देते थे जैसे कॉलेज से फोम लाना उसे सबमिट करना। कुछ ऐसा ही उस दोरान हुआ था। मेरे पापा ने मेरे दाखिला बीएस ई में करा दिया। में कॉलेज जाने लगी । लेकिन मेरे पीछे जो भी कोई बैठता था उसकी आवाज मुझे जानी पहचानी लगती थी । वो कोन था में ये जानना चाहती थी ।
my life
hello im vandan tyagi- mein aapne baare me jaayda to nahi janti but itna jarur janti hoon. ki me bhut bhawuk kishm ki ladki hoon. kafi din pahle meine socha tha ki me aapni love life par ek kitab likhungi likin mujhe waqt nahi mil raha tha lekin me aaj us kahani ki suruwat karne ki soch rahi hoon.
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