Monday, August 29, 2011
रिश्तों पर पड़ती वक्त की गर्त
कई बार रिश्तों में अजीब से कड़वाहट पैदा हो जाती है....क्यू होता है ऐसा शायद इसका जवाब तलाशने के लिए हम इधर अधर जाने की जरूरत नहीं है.....सभी सवालों के जवाब हमे अपने अंदर मिल जाएंगे..... अक्सर लोग प्यार की तलाश में प्रेम विवाह करते है........आज तो शख्स हमे दुनिया का सबसे संजीदा व्यक्ति लगता है अचानक उस शख्स से कटने क्यों लगते है.....जब तक वो ज़िंदगी का हिस्सा नहीं बनता...उसे पाने की ललक हमे दुनियां से दूर कर देती है ...लेकिन जब वो शख्स जिंदगी की गाड़ी का दुसरा पहियां बन जाता है तो हम उससे दुरियां बनाने लगते है...एक वक्त वो होता है जब हमे उससे बात किए बिना नींद नही आती है और फिर एक दिन वो आ जाता है कि हम उससे बात करके नींद नहीं आती॥दोनों ही बातों में बहुंत थोड़ा सा अंतर है लेकिन कितना फांसला है ये बखुबी बयां हो रहा है..... मेरे लिए ये आर्टिकल नहीं है....मेरे दिल की भावना है....आज में कुछ ऐसे ही सवालों से जूझ रही हूं.....जिनके जवाबों को तलाशने के लिए मैं ये सब लिख रहीं हूं......मैने महसूस किया है कि अब मैं किसी से बात करके उतनी खुशी महसूस नहीं करती हूं जितनी कभी करती थी....मन करता है शांत रहूं......शादी करने के बाद अब मुझे लगता है कि मैने बहुत बड़ी ग़लती की है.....मुझे उस शख्स से उतनी शिकायत नहीं है जिससे मैने शादी की है लेकिन ऐसा भी नहीं है कि मुझे उससे शिकायत नहीं है लेकिन कहीं ना कही मेरा मन बैचेन है.....पता नहीं क्यू लाईफ में एक खाली पन है...... जब भी अपने लाइफ पाटनर से बात करती हूं मुझे सुकून नहीं मिलता॥जब भी बाते करती हूं तो ऐसा लगता है कि हमारी बातों से प्यार कहीं छू मंतर हो गया है.......हम दोनों ऐसे बाते करते है जैसे हमारे पास कोई बात ही ना हो......मुझे वजह पता है.....पिछले कुछ दिनों में मेरे साथ जो घटनाए हुई उन्होने मुझे सबसे काट दिया है.....मेरा अब किसी से बात करने का मन नहीं करता.....ऐसा लगता है कि कोई मेरी फिलिंग नहीं समझता है....मेरे लाइफ पाटनर की बाते भी मेरे दिल के खालीपन को भर नहीं पाता है.....पता नहीं मै ये सब कुछ क्यों लिख रही हूं......लेकिन आज के वक्त में हम अपनी बातों को किसी के साथ शेयर करे तो कोई हल थोड़े ही निकलता है....इससे अच्छा तो ये है कि अपनी भावनाओँ को कलम के जरिए किसी पन्ने पर तराशा जाए....
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