Tuesday, January 18, 2011

दिल वालों की नहीं बलात्कारारियों की बनी दिल्ली

दिल वालों की नहीं बलात्कारारियों की बनी दिल्ली

हम किसी से कम नहीं... दिल्ली है दिल वालों की...इतना ही नही कॉमनवेल्थ गेमस के बाद तो ये भी कहा जाने लगा है कि दिल्ली वर्ल्ड क्लाश सिटी बन गई है......लेकिन किस मामले में..... विकास के तौर पर या पतन के रूप में.....दिल्ली के बिगड़े हालातों को देखकर इस बात का अंदाज़ा बख़ूबी लगाया जा सकता है कि दिल्ली में, क्राइम के विकास की दर दिन दूनी रात चौगनी तरक्की कर रही है.......अब तक दिल्ली को क्राइम कैपिटल कहा जाता रहा है, लेकिन हाल ही के दिनों में जिस तरह से बलात्कार के मामले बढ़े हैं उसे देखते हुए दिल्ली को रेप कैपिटल कहा जाए तो ग़लत नहीं होगा...ना केवल दिल्ली बल्कि पूरे एनसीआर में ये हालात हैं कि महिलाए ना सिर्फ रात में बल्कि दिन में भी घर से बाहर निकले से कतराती हैं....23 नवंबर को धौलाकुआ में मणिपुर की रहने वाली 30 साल की महिला के साथ किए गए सामूहिक बलात्कार ने, दिल्ली के क्राइम ग्राफ को एक इंच और बढ़ा दिया है। बताया जा रहा है कि महिला गुडगांव के कनवर्जिस कॉलसेंटर में काम करती थी और रात के करीब एक बजे कैब से घर लौट रही थी...कैब से उतरने के बाद वो घर से 100 मीटर की दूरी पर ही थी कि कार सवार चार बदमाशों ने हथियार के बल पर जबरन उसे गाडी में खीच लिया, जबकि इस बीच उसकी दूसरी महिला साथी भागने में क़ामयाब हो गई ....बदमाशों ने राजधानी की सड़कों पर बेख़ौफ उसकी इज्जत को तार तार किया और बेहोशी की हालत में उसे मंगोलपुरी इलाके में फेंक कर फ़रार हो गए...ये तो केवल बानगी भर है इससे पहले 9 अगस्त को दिल्ली के बसईदारा इलाके में भी 8वी कक्षा में पढ़ने वाली लड़की के साथ बलात्कार का मामला सामने आया था...मेडिकल जांच में इस बात का खुलासा हुआ कि पिछले तीन महीने से लडकी का यौन शौषण हो रहा था, और उसे तीन महीने का गर्भ है.....गृहमंत्रालय के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो 1917 से 2008 तक पूरे देश में बलात्कार के 3लाख 88 हज़ार सड़सठ मामले दर्ज किए गए वही 2005 से 2008 तक केवल दिल्ली में 19 सौ 28 मामले दर्ज किए जबकि मुबई 7 सौ 40 मामले दर्ज करारके दूसरे नबंर पर है। दिल्ली की बात करे तो यहां बलात्कार के मामले 14 से 18 साल की किशोरियों के साथ सबसे ज्यादा होतें है..इसके अलावा दस साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ भी सबसे ज्यादा रेप केस दिल्ली में ही होते हैं। केवल दिल्ली में ही 2008 में 61 बच्चियों को हवस का शिकार बनाया गया है....ये आंकड़े काफी है दिल्ली की संकुचित मानसिका को ज़ाहिर करने के लिए.....हालांकि दिल्ली पुलिस ने 23 नवंबर को, बीपीओ कर्मी महिला के साथ हुए बलात्कार की गंभीरता को देखते हुए, ये घोषणा की है कि अगर कोई महिला रात के वक़्त अकेले है और उसे घर पहुंचे के लिए वाहन ना मिले, तो वो बेझिझक 100 नंबर पर कॉल कर सकती है। पुलिस महिला को तुरंत कैब मुहैया कराएगी और उसे घर तक छोडेगी..इतना ही नही कैब में पुलिस का एक कर्मचारी भी होगा....अब सवाल ये उठता है कि पुलिस के इस क़दम से क्या वाकई महिलाओं के साथ होते हादसो में कमी आएगी..इतना ही नही क्या दिल्ली वालों की नज़रों में खाकी की धवि विश्वास करने लायक है...

वंदना त्यागी

Ph- 9313857794

No comments:

Post a Comment