Tuesday, January 18, 2011

दहेज हत्या बनी मौत का फरमान

दहेज हत्या बनी मौत का फरमान

पापा मैं छोटी से बड़ी हो गई क्यूं....तेरी इन बांहों में तेरी निगाहों में कुछ दिन और रहती तो क्या बिगड़ जाता....ये सवाल हर वो लडकी अपने मां बाप से पुछती है जो अपने पिता के आंगन को छोडकर ससुराल की गलियों में क़दम रखती है..आंखों में खूबसूरत सपने लेकर पिया के घर चली जाती है.....लेकिन उसके सपने उस वक्त चकनाचूर हो जाते है जब दहेज के लालची ससुराल वाले उसे दहेज की खातिर पल पल मौत को महसूस करवाते है....और मजबूरी के चलते कई बार महिलाएं धरेलू हिंसा को अपनी किस्मत समझकर उसे अपने गले लगा लेती है..ससुराल वालों के द्वारा दी गई जलालत भरी ज़िंदगी पल पल बेबस महिलओं को मौत का मंजर दिखाती है...लेकिन परिवार की इज्जत के खातिर अपनी जबान पर वो ताला लगाए...मासूम बिटियां हर रोज मरती रहती है, लेकिन मां बाप को दुख ना पहुंचे इस लिए सबकुछ सीने में दफन किए रहती है....और एक दिन राजकुमारी की तरह परवरिश करने वाले मां बाप को पता चलता है कि उनकी बेटी दहेज की बलि चढ़ गई है....आंकड़ों पर गौर किया जाए तो 2006 में दहेज हत्या के 7618 मामले सामने आए वही 2007 में दहेज हत्या के मामले बढ़कर 8093 को गए इतना ही नही 2008 में ये आंकड़ा 8172 को छु गया....ये आंकड़ा अभी भी रफ्तार पकड़े हुए है...हर सेकेंड में एक महिला दहेज की बलि चढ़ रही है..महिला आयोग के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो 2005-06 में दहेज हत्या के 203 मामले सामने आए जबकि दहेज प्रताड़ना के 532 इतना ही नही 2006-07 मे 261 दहेज हत्या और 793 दहेज प्रताडना के मामले सामने आए। हालांकि महिलाओं के साथ दरिंदगी कर उन्हे मौत के घाट उतारने वालों के खिलाफ हमारे सविंधान में घारा 304बी के तहत कार्रवाई की जाती है। जिसमें आरोपी को 7 साल से लेकर उम्र कैद की सज़ा का प्रावधान है। लेकिन आए दिन दहेज हत्या के बढ़ते मामलों को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने भी कड़ा रूख अख्तियार कर लिया है......सुप्रीमकोर्ट ने साफ कर दिया है कि देश की सभी अदालते दहेज हत्या के मुकदमें में धारा 302जरूर लगाए। कोर्ट ने ये व्यवस्था इसलिए दी है ताकि दहेज हत्या के आरोपी को मौत की सजा सुनाई जा सके....सुप्रीम कोर्ट ने ये फरमान पंजाब के उस मामले के बाद दिया है जिसमें राजबीर नाम के एक युवक ने शादी के छ महीने बाद ही अपनी गर्भवती पत्नी की गला घोटकर हत्या कर दी। ट्रायल कोर्ट ने उसे 10 साल की सजा सुनाई ...लेकिन हाईकोर्ट ने इसे घटाकर 7 साल कर दिया।आरोपी राजबीर ने सज़ा माफ करने के लिए सुप्रीमकोर्ट में याचिका दी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उसकी ये याचिका खारिज करते हुए राजबीर के आरोप को जधन्य करार दिया...सुप्रीम कोर्ट ने देहज हत्या को रोकने के लिए कानून में संशोधन कर धारा 304 बी के अलावा 302 लगाने के आदेश दिए है लेकिन देखने वाली बात ये है कि सुप्रीमकोर्ट के इस फरमान से दहेज हत्या पर कितनी रोक लग पाती है....लेकिन ये किसी ने नही छुपा है कि हमारे सविधान में जितनी सजा गुनाह करने के बाद दी जाती है उससे ज्यादा रास्ते गुनाह करके बच निकलने के है....इसलिए अगर जरूरत है तो सिर्फ सविधान में धारा परिवर्तन की नही बल्कि कानून बदलने की है।

वंदना त्यागी-9313857794


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