Tuesday, January 18, 2011

नुक्कड के मजनू

नुक्कड़ के मजनू......

भारत में कमी नहीं है मजनूओं की.......हर गली महोल्ले नुक्कड़ चौहराहों पर खड़े हुए मजनू बड़ी आसानी से मुहैया हो जाएंगे.....हम अगर अपने इतिहास पर नज़र डाले तो ना जाने कितने दिवानों के बारे में पढेंगे जिन्होंने अपने प्यार को पाने के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी....लेकिन जिस तरह से वक्त बदला है..समाज की सोच बदली है.....दिवानों ने भी अपना चोला बदल लिया है।....लैला.......मज़नू ने जहां एक दूसरे के लिए जान दी...शिरीह फरहाद भी एक दूसरे के लिए फना हो गए...इसी कड़ी में रोमियों और जुलियट भी थे। लेकिन आज के मजनू या कहों नुक्कड के मजनू रास्ते से गुज़रने वाली हर एक लैला पर मरमिटते है.. हर एक लैला के दिवाने है बैचारे ....लडकी बगल से गुजरी नही कि नुक्कड़ के मजनूओं का दिल जोरों से दहाडे मारकर धडकने लगता है.....दिल तो एक तरफ जबान भी काबू में नही रहती....इन मजनूओं को एक पल नही लगता ये कहने में....कि पलट हम भी तेरी राह में खड़े है दिल थाम कर.. लडकी अगले मोड से कट मारती है कि ये दिवाने फिर निकल पडते है दूसरी लैला की तलाश में.....उनकी ये मुराद मानों भगवान कुछ ही पल में सुन भी लेता है तो इनकी चांदी हो जाती है और दिल एक बार फिर रफ्तार पकड़ता है.....इस बार लैला के लिए कुछ नया सगुफा तैयार करके रखते है नुक्कड के मजनू...क्या पीस है यार...मानों वक्त के साथ साथ दिवानों नें प्यार के इजहार का तरीका ही बदल लिया हो....इन्हे हर लड़की में अपनी लैला नज़र आती....नुक्कड़ के अलावा मजनूओं की कतार बस स्टेंड रेलवे स्टेशन, शब्जी मंडी....इसके अलावा...स्कूल कॉलेजों में तो भरमार है .....मजनूओं की इस फौज को देखकर तो ऐसा लगता है कि लैलाओं के लिए भगवान ने मजनूओं की सैल लगा रखी हो....हर लड़की को देखकर आह भरने वाले इन दिवानों को शायद इस बात का अहसास हो गया है कि देश में जिस तरह से भ्रूण हत्या हो रही हैं उस हिसाब से तो इनके हिस्से की लैला दुनियां में आने से पहले ही इनसे अलविदा कह जाएगी इसलिए बेचारे बहती गंगा में हाथ धोते है, कि ना जाने कब कौन सी लैला इनके हाथ लग जाए.....इन नुक्कड़ के दिवानों के लिए हम तो बस यही कहेंगे.....दुनिया व्यस्त है अपनी दुनिया दारी में...बनिया व्यस्त है दुकानदारी में...लेकिन इन नुक्कड़ के दिवानों का क्या होगा...जिनका वक्त बीतता है लैलाओं की इंतजारी में....

वंदना त्यागी-9313857794

1 comment:

  1. laila bhi gujar rhi hai samy apne majnoo ke intjar maine, Baar Baar dekh rhi hai apne hath ki kali par bandhi us ghdi ko jo majnoo ne dilai,

    jab laila dhak gyi sooraj k garmi main khade khade,

    Aaj samjh gyi laila kiska intjar kar rhi hu main jiska na koi safar hai.

    samjhna to pahle kud ko hai, kyu majnoo ko dete duhai hai.


    Sanjeev Chaudhary 09210000781

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