Tuesday, January 18, 2011

सेना में घोटालों की सेंध

घोटालों की जद में सेना भी

वो जब शरहदों पर प्रहरी की तरह अपनी ड्यूटी बजा रहें होते है तब जाकर देश चैन की नीद सोता है लेकिन जब से सेना ने सेवा भाव छोड़कर मेवा पाना की नीति अपना ली है तब से देश की नीद आंखों से दूर हो गई है। आखों से जहां नीद उड़ गई है वही, दिमाग़ सोचने पर मज़बूर हो गया है कि हमारे देश की सेना को क्या हो गया है..एक के बाद एक सेना में जैसे घोटालों का घुन लग गया है...पहले सुकना जमीन घोटाला.... जिसमें सेना के आलाआधिकारियों की वर्दी पर घोटालों के छीटें लगे। घोटाले में मिलिट्री सेक्रेटरी लेफ्टिनेंट जनरल अवधेश प्रकाश पर आरोप लगा कि सैन्य सचिव पद पर रहते हुए उन्होने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए एक निजी ठेकेदार को दार्जिलिंग के नज़दीक सुकना में 33 वीं कोर के मुख्यालय से सटी जमीन पर एजुकेशनल कॉम्प्लेक्स बनाने की इजाजत दिलवाई। इसके लिए नियमों की अनदेखी तो की गई साथ ही सुरक्षा से भी खिलवाड़ किया गया। सुत्रों की माने तो इस घोटाले में उनके तीन दूसरे सीनियर अफसरों की शामिल रहें. उनके सहयोगी रहे लेफ्टिनेंट जनरल पीके रथ को कोई भी राहत देने से इनकार कर दिया जिन्होंने सुकना जमीन घोटाले में अपने खिलाफ कोर्ट मार्शल की कार्यवाही शुरू किए जाने को चुनौती दी थी।
गौरतलब है कि दार्जिलिंग में 300 करोड़ रुपये से अधिक के जमीन घोटाले में पूर्व सैन्य सचिव लेफ्टिनेंट जनरल अवधेश प्रकाश के साथ अपना नाम आने पर रथ कोर्ट मार्शल की कार्यवाही को चुनौती देने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट गए। घोटाले में हुई सेना की जांच में प्रकाश और रथ के अतिरिक्त लेफ्टिनेंट जनरल रमेश हलगली तथा मेजर जनरल पीसी सेन का नाम भी सामने आया। इतना ही सेना में कभी भर्ती घोटाला तो कभी खाद्य पर्दाथों को लेकर घोटालें सामने आना आम बात हो गई है। इन घोटालों में जो बात गौर करने वाली है वो यही है कि ज्यादातर घोटालों में सेना के अफसरों का हाथ सामने आया है इस तरह की हरक़तों से ना सिर्फ देश का बल्कि सेना के जवानों का मनोबल भी टूटता है। सुकना जमीन घोटालों के बाद जिसने राक्षस की तरह मुंह खोला वो था आदर्श हाऊसिंग घोटाला..इस घोटाले ने साफ बयां कर दिया कि किस तरह करगिल में शहीद हुए जवानो की शहदत को सेना के पूर्व आलाआधिकारी भूनाने में लगे है ....जिस सोसाइटी में शहीदों के परिवारों को फ्लैट अवंटन करने थे उसमें सेना के पूर्व अधिकारियों को जगह दे दी गई...इतना ही नही सोसाइटी को प्राइवेट बिल्डरों के हाथों में सौप दिया गया...सेना आज तक भी इस बात का पता नही लगा पाई कि सोसाइटी को बनाने के लिए एनओसी किसने दी....हालाकि अब थल सेना अध्यक्ष इस बात का भरौसा जता रहे है कि जल्द ही सिस्टम में सुधार किया जाएगा और ऐसे प्रवधान बनाए जाएंगे कि सेना कि जमीन पर किसी भी काम के लिए एनओसी अगर दी जाए तो उसके लिए रक्षा मंत्रालय की मंजूरी ली जाए सेना की कोई भी आलाअधिकारी

एनओसी पर हस्ताक्षर नही कर सकेगा। इतना ही नही अगर जरूरत पड़ी तो फाइल को मंत्रालय तक भेजा जाएगा। हालांकि आदर्श हाउसिंग मामले में कार्रवाई के नाम पर कुछ महाराष्ट्र के सूचना अयुक्त रामानंद तिवारी को सस्पेंड कर दिया गया है। ये तो महज़ कुछ मामले है जो मीडिया की सुर्खियों में छा गए और आम आदमी के बीच चर्चा का विषय बन गए...लेकिन सेना के अंदर जो दर्द एक सिपाही सहन कर रहा है उसके सामने ये घोटाले रत्ति भर है......अक्सर किसी भी घोटाले में छोटे ओहदे पर बैठे जवान का नाम कम ही आते है अगर आया भी हो तो मुझे याद नही लेकिन सेना में खुद को गोली मार कर मौत की नीद सोने वाले जवानों की सुर्खियां अक्सर अख़बारों में देखने को मिलती है। अपने परिवारों से दूर रहने वाले जवान अक्सर अपने अधिकारियों के दोगले व्यवहार से परेशान होकर मौत को गले लगाते है....लेकिन कभी सेना के आलाअधिकारी उन्हे अपने परिवार का हिस्सा नही समझते उनके दुख तकलीफ उन्हे नजर ही नही आते....आदर्श हाउसिंग घोटाले ने तो इस बात को पुखता भी कर दिया है..... आधिकारियों ने साफ कर दिया कि उन्हे शहीदों से ज्यादा खुद के लिए फ्लैटों की जरूरत ज्यादा है। कुछ दिनों पहले कि बात है आदर्श हाउसिंग सोसाइटी घोटाले के शोले दहक ही रहे थे कि इसी बीच जालंधर के मिलिट्री हॉस्पिटल में अफसरों की मिलीभगत से करोड़ो रूपए की दवाईंयों की हेराफेरी का मामला सामने आया । ये वाकई शर्म की बात है कि जिस देश में सेना को सबसे ऊंचा दर्जा दिया गया है उसे सेना के अफसर इतनी नीचे हरकत कर सकते है । सुत्रों की माने तो पश्चिमी कमान के जालंधर स्थित मिलिट्री अस्पताल में करोड़ों रुपए की दवा खरीद में जो हेराफेरी हुई है उसमें अस्पताल के आलाअधिकारियों से ही पुछताछ हो रही है। लेकिन अफसोस की बात तो ये है कि इसी अस्पताल के कमांडेट रहे बिग्रेडियर रैंक के अफसर को 10 करोड़ रूपए के घोटाले में सज़ा पाए अभी एक साल भी नही हुआ कि ये दूसरा घोटाला बेपर्दा हो गया । ऐसा बताया जा रहा है कि इस खेल में निचली रैंक और आलाधिकारियों की मिलीभगत , अपने चहेते डिलरों को ही लाखों रूपए का कोटेशन देते थे।इतना ही नही ताक पर रखकर कुछ डिलरों का रजिस्ट्रेशन किया गया , जिनके पास लाइसेंस तक नही थे....आए दिन सरकार में जिस तरह घोटाले सामने आ रहे हे उसी दौड़ में सेना भी शामिल हो गई है।हालातों को देखकर तो बस यही कहा जा सकता है कि सरकार ने जहां भ्रष्ट्राचार की पट्टी आंखों पर बांध ली है वहीं भारतीय सेना ,शेर पर सवा शेर बनकर घोटालों की चादर ओढ़ना चाहती है।

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